Monday, April 15, 2024

Aatm Nivedan - Introductory (Self Submission)


सभी प्राणियों में स्व सीमांकित और उन्नत यह मानव जीवन परमेश्वर की अद्भुत कृति है। इतनी अद्भुत कि जरा सी नासमझी में वह स्वयं को ईश्वर समझ बैठता है। अद्भुत इसलिए की शक्ति सामर्थ में आपार निहित ऊर्जा का धारक है। कुछ इस प्रकार की इसकी अधिकांश शक्ति सुप्त ही रहती है, जिसका विकास प्राकट्य प्रक्रियागत रहता है। किन्हीं विशेष परिस्थितियों में इसका स्वतः जागृत होना आश्चर्यजनक है। समस्या यह है कि मानव स्व मूल्यांकन करने में चूकता है। 

बिना किसी प्रत्यक्षदर्शी माध्यम के जानना तो दूर स्वयं को समग्रता से देख तक नहीं सकता। आश्चर्यजनक यह है कि प्रत्यक्ष पर यदि दृष्टि एकाग्र हो गई तो वही अंतर्निहित शक्ति जागृत , विकसित – क्रियाशील हो जगत में स्वयं को एक पहचान देती है। जरा सोचिए स्वयं के बारे में आप हैं कौन ?!

संपूर्ण सत्य पहचान क्या है ? ऐसे में गुरु शिष्य परंपरा ही श्रेष्ठ मात्र विकल्प है, जान सकने का अन्यथा सारा जीवन उथल-पुथल का शिकार होकर रह जाता है। परम सौभाग्य से समर्थ सदगुरू की शरण जो मिल पाए , पूर्ण समर्पण यही आवश्यक कर्तव्य है, खोज है- खेल है!



This human life is self-delimited and advanced among all creatures. A wonderful creation of God. So wonderful that in a little misunderstanding, considers himself God. Wonderful because power(Shakti) is the bearer of immense energy. Most of its power remains dormant in such a way, whose development is a process of manifestation. It is surprising that it awakens automatically in certain special circumstances. The problem is that human fails to evaluate themselves. 

Without any direct spectating medium, let alone knowing, they cannot even see themselves completely. The surprising thing is that if the vision is focused directly towards front , then the same inherent power awakens, develops - becomes active and gives to self an identity in the world. Just think about yourself, who are you?! What is the complete true identity? In such a situation, the Guru-disciple tradition is the only best option to know, otherwise the whole life becomes a victim of turmoil. By the utmost good fortune, one who is able to get the shelter of the capable (samarth) , Sadguru, essential duty is the complete surrender , search and this is the game!

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